जिंदगी के लिफाफे में कुछ नहीं था
सिवाय सवाल के
और मैं एक संदेह की तरह
बिजली के तार में उलझा हुआ था
मेरे शहर में रोज दर्जनों ट्रेनें उम्मीद लेकर आती थी
और हर रोज दर्जनों ट्रेनें मेरे शहर से लोगों का भय लेकर एक अंतहीन सफर में लेकर जा रही थी
इस बीच जब भी लिफाफा खोलता था
हाथ में एक सन्नाटे के सिवाय कुछ नहीं
जिंदगी के आयतन बढ़ते गए
पर सवाल का क्षेत्रफल वही था
जितना बन्द लिफाफे का।।
सिवाय सवाल के
और मैं एक संदेह की तरह
बिजली के तार में उलझा हुआ था
मेरे शहर में रोज दर्जनों ट्रेनें उम्मीद लेकर आती थी
और हर रोज दर्जनों ट्रेनें मेरे शहर से लोगों का भय लेकर एक अंतहीन सफर में लेकर जा रही थी
इस बीच जब भी लिफाफा खोलता था
हाथ में एक सन्नाटे के सिवाय कुछ नहीं
जिंदगी के आयतन बढ़ते गए
पर सवाल का क्षेत्रफल वही था
जितना बन्द लिफाफे का।।
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