सिग्रेट की डीबिया पर
शाम को तुम्हारा नाम लिखा था
रात को धुएं के साथ
तुम्हारा नाम
आसमान में अपना वजूद खोज रहा था
अँधेरे में
सिग्रेट की डीबिया पर
रात भर तुम्हारा स्केच बनाता रहा
सुबह जब नींद खुली
तब सभी ख्वाब राख हो चुके थे
और तुम्हारा स्केच भी गायब हो चूका था
ठीक वैसे ही जैसे तुम बिना बताएं
नदी के रास्ते चली गई थी।
शाम को तुम्हारा नाम लिखा था
रात को धुएं के साथ
तुम्हारा नाम
आसमान में अपना वजूद खोज रहा था
अँधेरे में
सिग्रेट की डीबिया पर
रात भर तुम्हारा स्केच बनाता रहा
सुबह जब नींद खुली
तब सभी ख्वाब राख हो चुके थे
और तुम्हारा स्केच भी गायब हो चूका था
ठीक वैसे ही जैसे तुम बिना बताएं
नदी के रास्ते चली गई थी।
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