Monday 30 May 2016

सिग्रेट की डीबिया

सिग्रेट की डीबिया पर 
शाम को तुम्हारा नाम लिखा था 
रात को धुएं के साथ 
तुम्हारा नाम 
आसमान में अपना वजूद खोज रहा था 
अँधेरे में 
सिग्रेट की डीबिया पर 
रात भर तुम्हारा स्केच बनाता रहा 
सुबह जब नींद खुली 
तब सभी ख्वाब राख हो चुके थे 
और तुम्हारा स्केच भी गायब हो चूका था
ठीक वैसे ही जैसे तुम बिना बताएं
नदी के रास्ते चली गई थी।

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