मैंने तुम्हारे लिए कुछ नहीं किया
सिवाय चौराहे पर तुम्हारा नाम लिखा
अपने आईने में तुम्हारी तस्वीर उतारी
नदी के कान में कुछ कहा था
जो आज भी गूंजती है
एक तट पर मैं अपने लाल रंग के साथ
दूसरे तट पर तुम हरे रंग को लेकर
और बीच में हम दोनों के उज्ज्वल नदी गुजर रही।।
सिवाय चौराहे पर तुम्हारा नाम लिखा
अपने आईने में तुम्हारी तस्वीर उतारी
नदी के कान में कुछ कहा था
जो आज भी गूंजती है
एक तट पर मैं अपने लाल रंग के साथ
दूसरे तट पर तुम हरे रंग को लेकर
और बीच में हम दोनों के उज्ज्वल नदी गुजर रही।।
No comments:
Post a Comment