Sunday 16 February 2014

मैं सपनों को नहीं मार पाया

एक रात ऐसी भी थी
जब हम सपने पहनकर सोते थे
और आज एक ऐसी रात भी हैं
जब हम अपने सपनो को बचाने के
लिए करवट भी नहीं बदल पाते 

यह सोचकर
कि कहीं हमारे करवट बदलने से सपने घायल हो जाएँ
सपने सच नहीं हुए वह् दूसरी बात हैं
पर सबसे जरूरी हैं
अपने सपनो को बचाकर रखना |

अब हम  जागते हुए सपनों को देखना शुरू कर दिए 
अब शायद आपको खबर होगी 
मैं जागते हुए एक दिन 
मर गया 
पर सपनों को नहीं मार पाया । । 
नीतीश मिश्र

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