Monday 10 February 2014

एक लड़की की चिट्ठी

एक लड़की की  चिट्ठी
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कामरेड : मैं कितनी अभागिन लड़की हूँ
कामरेड : तुम बाएं हाथ से कब -तक मुझे प्यार करते रोहेगे
जबकि तुम जानते हो
मेरे बदन की सीमा असीमित हैं
और तुम्हारे बाएं हाथ की एक तयशुदा सीमा हैं ।
तुम शायद ! दाहिने हाथ से मुझे एक बार छू लो
मैं तुम्हारे चेहरे की लाल रंग बन जाउंगी
लेकिन ! मैं क्या करूँ
तुम कुरुक्षेत्र के सिर्फ एक भीष्मपितामह हो
जो सिर्फ अपनी शर्तो पर जीना जानते हो
और अपनी शर्तो पर मरना
और तुम्हारे इन्हीं हथियार से कितने बेगुनाह लड़कियां मरती हैं
क्या कभी उन मौतों का पोस्टमार्टम रिपोर्ट
तुम अपने सिंद्धांतों में चस्पा करते हो ।

कामरेड तुम -कब तक
मेरे समाज और देश को
अपने बाएं हाथ और बाएं पैर से नापते रहोगे
जबकि तुमलोग भी आईने के पीछे
मंत्रोच्चार करते हुए पाए गए हो कि
तुम्हारा लाल सिंदूर सिंगुर में ही खो गया हैं
बोलो कामरेड------
मैं तुमसे प्यार करके
न तो घर कि रही और न ही तुम्हारी
क्योकि तुमने मुझे अभी दाहिने हाथ से प्यार नहीं किया
तुम जानते हो कामरेड
मेरा घर गली के दाहिने और ही पड़ता था
और तुम अपने दाहिने पैर से चलकर मेरे घर कभी नहीं आ सकते थे
इसलिए मैंने अपना परम्परागत घर छोड़कर
तुम्हारे पीछे चली आई ॥

नीतीश मिश्र

1 comment:

  1. एक लड़की से कामरेड का प्यार
    उफ़्फ़
    लाल सलाम !!

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