Saturday 22 June 2013

ईश्वर असमर्थ होता हैं

तबाही के बाद ...
मंदिर का शेष होना
यह गवाही देता हैं कि
ईश्वर असमर्थ होता हैं
आदमियों की रक्षा कर पाने में ......
अब जो लोग बच गए
क्या वे मानेगें की
ईश्वर भी आदमखोर होता हैं ......
लेकिन नहीं ऐसा नहीं होगा
पंडित फिर रामायण लिखेगा
और कहेगा कि क़यामत में कुछ बचता हैं तो सिर्फ ईश्वर
और लोगों को दिखायेगा साक्ष्य मंदिर के बचे रहने का .....
और लोग फिर जायेंगें केदारनाथ ....
जबकि मैं बार --बार कहता हूँ
वहां कोई ईश्वर नहीं हैं
एक स्त्री -पुरुष का प्रेम हैं ....
जो हंसीं वादियों में एकांत में बैठकर
वर्षों से कर रहे हैं प्यार .......
अगर मेरी बात पर यकीं ना हो देख लीजिये तबाही के बाद का मंजर
कोई स्त्री पड़ी हुई मिल जाएगी अपने प्रेमी के बांहों में
और कोई बच्चा मिल जायेगा अपनी माँ की बांहों में .......

नीतीश मिश्र

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