Wednesday, 24 February 2016

चोर नहीं चुराता हैं कायरता

अगर कहीं सिद्धांत बचा हैं
अगर कहीं मूल्य फूल की तरह महक रहा हैं
अगर कहीं आत्मा में रोशनी बची हैं
तो वह कोई धर्म की किताब नहीं हैं
वह कोई देवता भी नहीं हैं
वह कोई स्कूल  भी नहीं हैं
वह कोई मंदिर भी नहीं हैं
बल्कि वह चोर की आत्मा हैं !
जहाँ बची हुई हैं खिड़की
जहाँ बची हुई हैं समय की सभ्यता हैं
चोर कभी हिन्दू नहीं होते
चोर कभी मुसलमान भी नहीं होते
चोर कभी राजनीतिज्ञ भी नहीं होते
चोर केवल भूख से उबरने के लिए रास्ता बनाते हैं
चोर घर में रखा हुआ सारा सामान चुरा लेता हैं
लेकिन नहीं चुराता हैं आपकी कायरता
चुराता हैं आपकी क्षमता
नहीं चुराता हैं आपकी ईमानदारी
नहीं चुराता हैं घर में पसरा हुआ अँधेरा
नहीं चुराता हैं आपका धर्म
चोर केवल भूख के बचत खाते पर डालता हैं हाथ
सबसे प्यारी आत्मा के साथ चोर चोरी करता हैं
और अपने अँधेरे से रास्ता बनाता हुआ पार निकल जाता हैं
अगर चोर घरो का अँधेरा भी चुराने लगते तो
ख़त्म  जाती दुनियां ॥

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