Thursday 4 February 2016

सबसे बड़ी कविता पागल लेकर घूमते है

 अपने समय की
सबसे बड़ी कविता पागल लेकर घूमते है
अतीत / भविष्य को दफनाकर
चांद को बाजरे की रोटी जैसी संज्ञा देते है
एक दुर्लभ भूख लिए
भाषा को मुस्कान में बदलने का जोखिम उठाते है
रद्दी कागजों को एक अर्थ देते है।
पागलों के पास नहीं होती अपनी परछाइयां
बल्कि टूटती हुई शहर की शक्ले
खत्म होती हुई नदी की यादों को लेकर
ईश्वर को देता है दिन- रात चुनौती
अपने समय का देवता भी
पागलों से डरता है
इसलिए  देवता हर रोज रचता है अपनी बहादुरी की कहानी
जबकि पागलों के पास कोई कहानी नहीं होती है
शहर के सभी पागल एक साथ
अंधेरे में बनाते है घर
और इतिहास को नकारते हुए घोषित करते है
हम अपने समय के सबसे सुंदर कृति रचते है।।
जब शहर डूब जाता है अपनी रोशनाई में
तब एक पागल जागता है
और रेलवे लाइन की पटरियों पर लिखता है
मैं अपने समय का सबसे कुरूप आदमी हूं
लेकिन अपने समय के सबसे खूबसूरत पौधे कपास से मैं प्यार करता हूं।।
एक पागल से होकर गुजरना
गोया अपनी त्वचा से होकर गुजरने जैसा होता है।।

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