स्त्रियां खुश हैं यह सोचकर कि घर में अभी नमक हैं
रसोई में चुटकी भर नमक का होना
इस चुटकी भर उम्मीद से वे खोज लेती हैं
आसमान में थोड़ा सा लाल रंग
और पेट भरकर हँसती हैं
यह सोचकर कि अब वे धरती पर फैले हुए पानी में घोल
सकती हैं अपने हिस्से का लाल रंग !
इस उम्मीद को जेवर की तरह कहीं कान में बांध लेती हैं
और निकल पड़ती हैं किसी जंगल की और या सागर के पास
स्त्रियां जंगल के एकांत में भरती हैं
एक सिंदूरी लाल रंग
और सागर की जड़ में रोपती हैं अपना स्वर !!
और धीरे से कहती हैं
हम नहीं डरते दुनिया के किसी भी शोर से
जब तक घर में नमक हैं
स्त्रियां गाती रहेंगी ...
स्त्रियां खुश हैं यह सोचकर
अभी बचा हुआ हैं घर में चूल्हे जैसा एक सहचर
जो बचाकर रखा हुआ हैं
स्त्रियों के लिए एक संगीत
एक स्त्री के लिए एक देवता जितना ऐतिहासिक हैं
उससे कहीं ज्यादा प्राचीन एक चूल्हा हैं
एक चूल्हे के अंदर स्वर तभी फूटता हैं
जब उसे स्त्री स्पर्श करती हैं
स्त्रियां खुश हैं जबसे वे हवा के खिलाफ
आग जलाना सीख ली हैं ....
स्त्रियां उस दिन ठहाका लगाकर हँसती हैं
जब बिना धूप के गीले कपड़ो को
सुखाने की विधि खोज लेती हैं ...
भले से ! तुम्हारे रक्त में नमक कम हो जाये
लेकिन स्त्री के रसोई ने नमक बचा रहता हैं
जैसे बची रहती हैं धरती में कहीं डुब ॥
नीतीश मिश्र
रसोई में चुटकी भर नमक का होना
इस चुटकी भर उम्मीद से वे खोज लेती हैं
आसमान में थोड़ा सा लाल रंग
और पेट भरकर हँसती हैं
यह सोचकर कि अब वे धरती पर फैले हुए पानी में घोल
सकती हैं अपने हिस्से का लाल रंग !
इस उम्मीद को जेवर की तरह कहीं कान में बांध लेती हैं
और निकल पड़ती हैं किसी जंगल की और या सागर के पास
स्त्रियां जंगल के एकांत में भरती हैं
एक सिंदूरी लाल रंग
और सागर की जड़ में रोपती हैं अपना स्वर !!
और धीरे से कहती हैं
हम नहीं डरते दुनिया के किसी भी शोर से
जब तक घर में नमक हैं
स्त्रियां गाती रहेंगी ...
स्त्रियां खुश हैं यह सोचकर
अभी बचा हुआ हैं घर में चूल्हे जैसा एक सहचर
जो बचाकर रखा हुआ हैं
स्त्रियों के लिए एक संगीत
एक स्त्री के लिए एक देवता जितना ऐतिहासिक हैं
उससे कहीं ज्यादा प्राचीन एक चूल्हा हैं
एक चूल्हे के अंदर स्वर तभी फूटता हैं
जब उसे स्त्री स्पर्श करती हैं
स्त्रियां खुश हैं जबसे वे हवा के खिलाफ
आग जलाना सीख ली हैं ....
स्त्रियां उस दिन ठहाका लगाकर हँसती हैं
जब बिना धूप के गीले कपड़ो को
सुखाने की विधि खोज लेती हैं ...
भले से ! तुम्हारे रक्त में नमक कम हो जाये
लेकिन स्त्री के रसोई ने नमक बचा रहता हैं
जैसे बची रहती हैं धरती में कहीं डुब ॥
नीतीश मिश्र
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