Saturday 3 October 2015

आज मैं रो दिया

आज मेरे कमरे में किताबें नहीं हैं
सिर्फ गन्दे कपड़े !
टूटे हुये मोबाइल के टुकड़े
कुछ चप्पले
कुछ बिखरी हुई मूर्तियां
कुछ टूटी हुई स्मृतियां
कुछ दीवारों पर लिखी हुई असफलताएँ
कुछ पन्द्रह अगस्त की घटनाएं
लेकिन !!
आज मैं रो दिया
जब एक बच्चे ने मुझे बताया आपका आईना गन्दा हैं।

No comments:

Post a Comment