Saturday 3 October 2015

दिल्ली में अमन चैन हैं

शहर में बच्चों का खामोश होना
किसी को नहीं मालूम
नहीं मालूम हैं
हवा को
नहीं मालूम हैं
धूप को
नहीं मालूम हैं
कालीमाई को
नहीं मालूम
पीर शाह को
नहीं मालूम हैं
सीताराम मास्टर को
नहीं मालूम हैं
अलीहम्मद को
नहीं मालूम हैं
वैद्य को !
शहर में बच्चों का मौन होना
यह बताता हैं
दिल्ली में अमन चैन हैं।।

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