Tuesday 17 March 2015

मैंने सीखा हैं

मैंने चींटियों से
कभी दीमकों से
सीखा हैं…
एक घर के अंदर एक घर बनाना
जिससे बचा रहे ……
दंगें में
हमारा एकांत का सेतु
हम सब कुछ गँवा कर
एक बार
सिर्फ एक बार
पानी की तरह हँस सके
क्योकि हमने सीख लिया हैं
बचाना
अपना एकांत
जहाँ महकता हैं हमारा स्पर्श ॥
नीतीश  मिश्र

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