Saturday 21 March 2015

आभासी दुनिया में रहते हुए हम भूल रहे हैं प्यार करने की ताकत

आभासी दुनिया में रहते हुए
हम सिर्फ आभासी बनकर रह जाएंगे
और एक दिन ……
हमारे पास नहीं बचेगी
प्यार करने की ताक़त
एक दिन ख़त्म हो जाएगी
प्रेमपत्र लिखने की आदत.…
एक दिन छीन लेंगें वे
हमसे रोने की प्रवृत्ति ....
बुनी  जा रही हैं हमारे चारो और ऐसी साजिश
की हम भूल जाएँ
अपने पड़ोस में रहने वाले अब्दुल चाचा को
हम भूल जाये
दीनानाथ दर्जी  को
हम भूल जाये गांव के मजदूरो को
हम आभासी दुनिया में
बचे रहेंगे
सिर्फ आभासी संवाद करने लायक
और वे हमारे यहाँ आएंगे
और छीन लेंगे हमसे
हमारा कुंवा
हमसे हमारा त्यौहार
और हुनर
और घोषित कर देंगे
हिंदुस्तान फिर गुलाम हो गया ....
यदि हमको बचाना हैं कुछ
तो हमें मिटटी के दर्द को पहचानना होगा ।
और हर आदमी के चेहरे में अपना चेहरा खोजना पड़ेगा
और लिखना होगा प्रेमपत्र
नहीं तो
हम अपनी आत्मा की कोठरी में बैठकर
जलाएंगे एक दिया
और खोजेंगे अंधेरें में एक संभावना
और लिखेगें मृत्यु पर शोक गीत ॥

नीतीश मिश्र

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