Monday 23 February 2015

बुनकरों ने घोषित किया हैं

बुनकरों को पहले ही मालूम हो गया था
आने वाली सदी में
नहीं दिखाई देंगे
कहीं फूल....
कहीं पत्तियां....
कहीं झरने
कहीं हिरन तो कही जंगल ....
बुनकरों को अंदाजा हो गया था
मनुष्य ही करेगा अपनी सभ्यता की हत्या !
इसलिए उन्होंने कपास के धागे में रफू किया था
कोई फूल , कोई झरना ,  कोई पेड़
बुनकरों ने बुना था धागे में हमारे लिए एक विशेषण
हत्यारे का ! हत्यारे का !
आज हमें एहसास   न हो लेकिन बुनकरों ने पहले ही घोषित का दिया था
हम इस सभ्यता के एक हत्यारे हैं !
आज मैं जब भी अपनी कमीज पर कोई रफू किया हुआ फूल देखता हूँ
मुझे फूल में बुनकरों की आँख दिखाई देती हैं
जो कहती हैं तुम कमीज नहीं
प्रकृति की हत्या करके उसकी आत्मा पहने हो ॥

नीतीश मिश्र

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