Monday 12 January 2015

माँ के बाद

माँ के बाद ....
मेरा कोई कुशल क्षेम चाहता हैं
या मेरे भविष्य के लिए चिंतन करता हैं
तो वह हैं ----
मेरे कमरे की दीवारे
खिड़कियां ……
और मेरे जूते -चप्पल
मेरी तौलियां …।
मेरी माँ के बाद कोई मेरा रास्ता देखता हैं
तो वह हैं ……
वह हैं मेरे कमरे में रखी कुर्सियां
दीवारो पर रखा  हुआ आईना
और ताखे पर रखी हुई लालटेन ।
माँ के बाद कोई मुझसे बात करता हैं
तो वह हैं …
झाड़ू
चूल्हा …
बर्तन
माँ के बाद कोई मेरा बोझ ढोता हैं
तो वह हैं कमरे में रखा हुआ मेज ॥

नीतीश  मिश्र

No comments:

Post a Comment