Thursday 4 August 2016

इस सदी का प्रेमपत्र लिखना ही धर्म है

केवल मैं ही तुम्हें प्रेमपत्र नहीं लिखता हूं
मेरे प्रेमपत्र में मेरा शहर भी शामिल होता है
मेरे शहर की हवा भी उपस्थित रहती है
मेरे कमरे का अंधेरा भी प्रेमपत्र में शामिल हो जाता है
मैं जब खुश होता हूं या जब दुखी रहता हूूं
या जब  सुख- दुख कुछ भी नहीं होता है तब भी
मैं प्रेमपत्र लिखता हूं
शायद! इस सदी का प्रेमपत्र लिखना ही धर्म हो
धरती का सबसे बड़ा अविष्कार प्रेमपत्र लिखना ही रहा हो
जिसने भी प्रेमपत्र लिखने की कला का इजाद किया होगा
वह धरती का सबसे सभ्य मनुष्य रहा होगा
आज भी मैं उस आदमी के बारे में कल्पना करता रहता हूं
और उस लड़की के बारे में सोचता हूं
जिसके खाते में दर्ज हुई होगी सबसे पहले प्रेमपत्र के प्राप्त होने की खुशी
मैं जब भी तुम्हे प्रेमपत्र लिखकर खाली होता हूं
तब मैं दूसरे प्रेमपत्र के बारे में सोचने लगता हूं
मेरे लिए प्रेमपत्र बिल्कुल पानी की तरह है
प्रेमपत्र हर समाज का मनुष्य लिखता आया है
ऋषियों से लेकर आदिवासियों ने भी लिखा है
धरती पर रंग तभी तक बचे रहे
जब - तक हम प्रेमपत्र लिखते रहे
अगर हमे गंगा को या हिमालय को
जंगह को या अंधेरे को
आकाश को या धरती को बचाना है तो
हमे प्रेमपत्र लिखना ही होगा।।

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