Sunday 12 July 2015

पहाड़ बोलेंगे

जब कोई नहीं बोलेगा
अपने समय का सच
तब पहाड़ बोलेंगे …
क्या तब तुम सुनोगें
पहाड़ की बाते
जब पहाड़ कहेगा की
एक दिन तुमने
एक लड़की के साथ प्यार का ढोंग किया था
और उस समय मैंने सिखाया था तुम्हें प्यार करना
क्या पहाड़ की यह बात कोई सुनेगा
जब पहाड़ कहेगा की
तुम अपने समय की और दूसरे के जीवन की हत्या करके पहाड़ में आराम करने के लिए आते थे
अब हमें जो भी लिखना हैं
वह पहाड़ से पूछकर लिखना होगा
क्योकि जब कवि चुप हैं
और संपादक बहुरुपिया हो गया हो
और बुद्धिजीवी सुविधाजीवी हो गया हो
तो दुनिया का इतिहास कैसे लिखा जायेगा
क्या आजाद होने  मतलब हैं
हम जैसे चाहे वैसे सपने देखे
हम जैसे चाहे वैसे अपने समय को परिभाषित करे
यदि हमें कुछ लिखना हैं
या कुछ तय करना हैं
तो हमें लौटना होगा फिरसे पहाड़ो पर
पहाड़ो पर देवता भी लौटकर आते हैं
और पहाड़ो पर चाँद भी लौटता हैं
जब भी प्रेम पर कोई कविता लिखनी हो
तो पहाड़ ही अब बताएगा प्रेम क्या होता हैं
काश ! हम मंदिरो से जितना प्यार करते हैं
उसका आधा भी हम पहाड़ से प्रेम करते
तो बचा होता हमारा रंग और समय ॥

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