Friday 30 August 2013

प्यार में लोकतंत्र

मेरे प्यार में
लोकतंत्र के समावेश होने से
मेरा प्यार पत्थर की तरह मजबूत होता जा रहा हैं
मेरे प्यार की थाली में
नहीं हैं कोई जाति कि घिनौनी दीवार
और मेरे प्यार के आकाश में नहीं दिखाई देता हैं
कोई उम्र की दुर्ग्रंध की सीमा। ।
मुझे अपने प्यार तक पहुँचने के लिये नहीं करना पड़ा कोई सत्याग्रह
अपने प्यार का वजूद पाने के लिए
मुझे बनना पड़ा दिया
 प्यार में लोकतंत्र के आने से
मेरा प्यार शर्माते हुए अब नहीं जीता हैं
बल्कि शेर की तरह गरजता हैं।

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