Friday 24 May 2013

आज मैं बहुत खुश हूँ ....

आज मैं बहुत खुश हूँ ....
मेरी प्रेमिका डाक्टर हो गयी हैं ...
और मैं
अस्पताल का गंभीर मरीज
वो आज बहुत खुश हैं
क्योकि मेरी प्रेमिका रहते हुए
वो जो नहीं कर पाई थी ...
आज वह सब कुछ करने जा रही हैं ...

उसे ऐसे में देखकर
नहीं लगता हैं की आज यह मेरी प्रेमिका हैं
अब ऐसा लगता हैं की
वह कोई मेरी दादी माँ हैं ...

अब बात -बात पर
मुझे बहुत सी कहानियां सुनाती हैं
जीवन के व्याकरण के रहश्य को खोलकर
दवाइयों में घोलती हैं ....

पहले उतनी पास नहीं आती थी
जिस्मों की सरहदों पर खड़ी होकर
प्यार करते हुए शरमा जाती थी .....

पर अब मेरे जीवन को बचाने के लिए
एक नया इश्क का व्याकरण बना रही हैं ....
वह जानती हैं की
मैं उसका डूबता हुआ कोई सूरज हूँ
और मेरे अंदर जो लालिमा हैं
यह उसका अपना प्यार हैं ....
और वह अपने प्यार को अब अँधेरे में नहीं खोना चाहती हैं ...

इसलिए मेरे मृत्यु के पास बैठकर
एक संगीत की ज्योति जलती हैं ....
वह मुझे काशी में कभी नहीं मरने देगी
क्योकि वह कब तक मेरे पास रहेगी
काशी मेरे पास कभी नहीं आएगा ....
क्योकि मेरी प्रेमिका मेरी कविता भी हैं
और मेरे अंधेरें की एक रोशनी भी .....


नीतीश मिश्र 

1 comment:

  1. वाह .....निशब्द हूँ तुम्हारी सोच के आगे

    प्यार का ये भी रूप है

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