Monday 25 February 2013

एक पागल

कितना बड़ा अर्थ रखता हैं 
एक पागल अपने आप में 
क्योकि वह बहुत कुछ 
बनने से बच गया हैं ....
वह नहीं बना कोई अपराधी या आतंकवादी 
और न ही बना कोई चोर --डाकू 
एक पागल कितना अधिक समझदार हैं 
जीवन में किसी समझौते के 
आगे कभी अपना सर नहीं झुकाया। 
एक पागल की दुनिया में 
अफ़सोस नाम की कोई रेखा नहीं होती 
वह जीवन के संश्लेष को 
धूप की तरह धरती पर छींट देता हैं,
और धरती के चारों और चक्कर लगाता हैं 
एक पागल कभी दूसरे के चेहरे पर 
हँसता नहीं हैं 
अगर कभी हँसता हैं तो 
मनुष्य के अन्दर के डर को देखकर 
एक पागल धरती पर 
सबसे अधिक खुश हैं 
क्योकि वह सांप्रदायिक बनने की 
कोई चाह नहीं रखता हैं 
और ना ही कोई राजनैतिक आदमी बनने की 
एक पागल अपने जीवन में 
जाति और धर्म का त्याग करके 
सबसे पहले मुक्त होता हैं 
और ईश्वर के समानंतर अपनी सत्ता खड़ा करता हैं 
पागल बिना किसी स्मृति के 
खुद से प्यार करते हुए 
अपने वर्तमान को लगातार बचाए रहता हैं 
धरती पर अकेला एक पागल ही शेष हैं 
जिससे स्त्री अपने आप को सुरक्षित समझती हैं 
वह कभी अपने को परिभाषित करने के लिए 
नहीं बुनता हैं नैतिकता का कोई व्याकरण 
एक पागल बिना किसी आवरण के 
कला का स्रोत खोजता हैं .......
एक पागल इस दुनिया में 
सबसे अधिक आज खुश हैं 
क्योकि वह दुनिया को लूटने के गिरोह में 
कभी शामिल नहीं रहता हैं .............

नीतीश मिश्र 


1 comment:

  1. नितीश ....शब्द विहीन कर दिया तुम्हारी इस कविता ने ....बहुत बहुत उम्दा

    ReplyDelete